आलोचना पर नहीं लक्ष्य पर ध्यान देने से मिलती है सफलता

 


अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते हुए कई बार व्यक्ति अपने विवेक का इस्तेमाल किए बिना दूसरों की बातों को ज्यादा तवज्जो देने लगता है। व्यक्ति की यही आदत उसे सफलता के मार्ग से पीछे खींचकर नाकामी का मुंह देखने के लिए मजबूर कर देती है। आइए इस कहानी से जानते हैं आखिर कैसे।   

भयंकर गर्मी थी। एक गांव की कच्ची सड़क से एक पिता अपने बेटे व घोड़े के साथ गुजर रहा था। बेटे की उम्र करीब 17 साल थी और पिता की 42 साल। पिता ने अपने बेटे को घोड़े पर बैठा रखा था। पिता घोड़े की लगाम पकड़कर पैदल चल रहे थे। दोनों हंसी मजाक करते हुए अच्छे मूड के साथ अपने घर की तरफ जा रहे थे। तभी रास्ते में एक युवक ने कहा- कैसा नालायक लड़का है, पिता पैदल चल रहा है, खुद घोड़े पर बैठकर मजा ले रहा है। 

बेटा स्वाभिमानी था। उसने शर्म महसूस की। वह फौरन उतरा और उसने अपने पिता को घोड़े पर बैठा दिया। अब पिता घोड़े पर और वह पैदल। वह आधा किलोमीटर दूर आगे चले ही थे कि कुछ लोगों ने फब्तियां कसते हुए कहा कि कैसा पिता है, लड़का पैदल चल रहा है, खुद घोड़े पर बैठकर आनंद ले रहा है। 

अब पिता से रहा नहीं गया और वह भी घोड़े से उतर गया। दोनों घोड़े को लेकर पैदल चलने लगे। थोड़ी आगे जाकर कुछ लोगों ने समूह ने उनका मजाक उड़ाया। कहा कि घोडा रहते हुए भी पैदल जा रहे हैं... मूर्ख कहीं के। 

दोनों उलझन में पड़ गए। उसके बाद दोनों घोड़े पर चढ़कर आगे की दूरी तय करने लगे। 

आगे फिर कुछ लोग टकरा गए। उन्होंने कहा कि दोनों पिता-पुत्र पागल हो गए हैं। घोड़े की जान लेकर ही मानेंगे। दोनों फौरान घोड़े से उतर आए और पेड़ के नीचे बैठ गए। दोनों सोचने लगे कि दुनिया हमें किसी भी हाल में जीने नहीं देगी। पिता ने पुत्र से कहा - देखो बेटा... जब तुम अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहे होंगे तब समाज के बहुत से लोग तुम्हारी टांग खीचेंगे। लेकिन तुम डटे रहना। 

इस कहानी से मिलती हैं ये सीख - 
1.
इन दिनों हर तरफ नकारात्मकता का माहौल है। चाहे आपका गली-मौहल्ला हो या ऑफिस। आप जब आगे बढ़ेंगे तो तमाम लोग आपसे तमाम तरह की बातें करेंगे। टांग खींचने वाले बहुत मिलेंगे। लेकिन आपको दूसरों की नेगेटिव बातों को दरकिनार कर सफलता का शिखर पाने के लिए आगे बढ़ते रहना है। 

2. आवश्यकता इस बात की है हम, हमें कमजोर बनाने वाली हर एक आवाज की उपेक्षा करें। उसकी तरफ ध्यान न देकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें।